भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वैभव के अमिट चरण-चिह्न / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(हिज्जे)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी
 
|संग्रह=न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
विजय का पर्व! 
 +
जीवन संग्राम की काली घड़ियों में
 +
क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण
 +
अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के
 +
पुण्य स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर
 +
विजयोन्मुख भविष्य का
 +
पथ प्रशस्त करते हैं। 
  
विजय का पर्व! <br>
+
अमावस के अभेद्य अंधकार का—
जीवन संग्राम की काली घड़ियों में<br>
+
अन्तकरण
क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण<br>
+
पूर्णिमा का स्मरण कर
अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के<br>
+
थर्रा उठता है। 
पुण्य स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर<br>
+
विजयोन्मुख भविष्य का<br>
+
पथ प्रशस्त करते हैं।<br><br>
+
  
अमावस के अभेद्य अंधकार का—<br>
+
सरिता की मँझधार में
अन्तकरण<br>
+
अपराजित पौरुष की संपूर्ण
पूर्णिमा का स्मरण कर<br>
+
उमंगों के साथ
थर्रा उठता है।<br><br>
+
जीवन की उत्ताल तरंगों से
 +
हँस-हँस कर क्रीड़ा करने वाले
 +
नैराश्य के भीषण भँवर को
 +
कौतुक के साथ आलिंगन
 +
आनन्द देता है।
  
सरिता की मँझधार में<br>
+
पर्वतप्राय लहरियाँ
अपराजित पौरुष की संपूर्ण<br>
+
उसे
उमंगों के साथ<br>
+
भयभीत नहीं कर सकतीं
जीवन की उत्ताल तरंगों से<br>
+
उसे चिन्ता क्या है ? 
हँस-हँस कर क्रीड़ा करने वाले<br>
+
नैराश्य के भीषण भँवर को<br>
+
कौतुक के साथ आलिंगन<br>
+
आनन्द देता है।<br><br>
+
  
पर्वतप्राय लहरियाँ<br>
+
कुछ क्षण पूर्व ही तो
उसे<br>
+
वह स्वेच्छा से
भयभीत नहीं कर सकतीं<br>
+
कूल-कछार छोड़कर आया
उसे चिन्ता क्या है ?<br><br>
+
उसे भय क्या है ?  
 +
कुछ क्षण पश्चात् ही तो
 +
वह संघर्ष की सरिता
 +
पार कर
 +
वैभव के अमिट चरण-चिह्न
 +
अंकित करेगा। 
  
कुछ क्षण पूर्व ही तो<br>
+
हम अपना मस्तक
वह स्वेच्छा से<br>
+
आत्मगौरव के साथ
कूल-कछार छोड़कर आया<br>
+
तनिक ऊँचा उठाकर देखें
उसे भय क्या है ?<br>
+
विश्व के गगन मंडल पर
कुछ क्षण पश्चात् ही तो<br>
+
हमारी कलित कीर्ति के  
वह संघर्ष की सरिता<br>
+
असंख्य दीपक जल रहे हैं। 
पार कर<br>
+
वैभव के अमिट चरण-चिह्न<br>
+
अंकित करेगा।<br><br>
+
  
हम अपना मस्तक<br>
+
युगों के बज्र कठोर हृदय पर  
आत्मगौरव के साथ<br>
+
हमारी विजय के स्तम्भ अंकित हैं।
तनिक ऊँचा उठाकर देखें<br>
+
अनंत भूतकाल
विश्व के गगन मंडल पर<br>
+
हमारी दिव्य विभा से अंकित हैं।
हमारी कलित कीर्ति के<br>
+
असंख्य दीपक जल रहे हैं।<br><br>
+
  
युगों के बज्र कठोर हृदय पर<br>
+
भावी की अगणित घड़ियाँ
हमारी विजय के स्तम्भ अंकित हैं।<br>
+
हमारी विजयमाला की
अनंत भूतकाल<br>
+
लड़ियाँ बनने की
हमारी दिव्य विभा से अंकित हैं।<br><br>
+
प्रतीक्षा में मौन खड़ी हैं।
  
भावी की अगणित घड़ियाँ<br>
+
हमारी विश्वविदित विजयों का इतिहास  
हमारी विजयमाला की<br>
+
अधर्म पर धर्म की जयगाथाओं से बना है।  
लड़ियाँ बनने की<br>
+
हमारे राष्ट्र जीवन की कहानी  
प्रतीक्षा में मौन खड़ी हैं।<br><br>
+
 
+
हमारी विश्वविदित विजयों का इतिहास<br>
+
अधर्म पर धर्म की जयगाथाओं से बना है।<br>
+
हमारे राष्ट्र जीवन की कहानी<br>
+
 
विशुद्ध राष्ट्रीयता की कहानी है।
 
विशुद्ध राष्ट्रीयता की कहानी है।
 +
</poem>

00:08, 13 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

विजय का पर्व!
जीवन संग्राम की काली घड़ियों में
क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण
अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के
पुण्य स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर
विजयोन्मुख भविष्य का
पथ प्रशस्त करते हैं।

अमावस के अभेद्य अंधकार का—
अन्तकरण
पूर्णिमा का स्मरण कर
थर्रा उठता है।

सरिता की मँझधार में
अपराजित पौरुष की संपूर्ण
उमंगों के साथ
जीवन की उत्ताल तरंगों से
हँस-हँस कर क्रीड़ा करने वाले
नैराश्य के भीषण भँवर को
कौतुक के साथ आलिंगन
आनन्द देता है।

पर्वतप्राय लहरियाँ
उसे
भयभीत नहीं कर सकतीं
उसे चिन्ता क्या है ?

कुछ क्षण पूर्व ही तो
वह स्वेच्छा से
कूल-कछार छोड़कर आया
उसे भय क्या है ?
कुछ क्षण पश्चात् ही तो
वह संघर्ष की सरिता
पार कर
वैभव के अमिट चरण-चिह्न
अंकित करेगा।

हम अपना मस्तक
आत्मगौरव के साथ
तनिक ऊँचा उठाकर देखें
विश्व के गगन मंडल पर
हमारी कलित कीर्ति के
असंख्य दीपक जल रहे हैं।

युगों के बज्र कठोर हृदय पर
हमारी विजय के स्तम्भ अंकित हैं।
अनंत भूतकाल
हमारी दिव्य विभा से अंकित हैं।

भावी की अगणित घड़ियाँ
हमारी विजयमाला की
लड़ियाँ बनने की
प्रतीक्षा में मौन खड़ी हैं।

हमारी विश्वविदित विजयों का इतिहास
अधर्म पर धर्म की जयगाथाओं से बना है।
हमारे राष्ट्र जीवन की कहानी
विशुद्ध राष्ट्रीयता की कहानी है।