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"सागर की लहर लहर में / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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− | यह जीवन का है सागर, | + | यह जीवन का है सागर, |
− | जग-जीवन का है सागर, | + | जग-जीवन का है सागर, |
− | प्रिय-प्रिय विषाद रे इसका | + | प्रिय-प्रिय विषाद रे इसका |
− | प्रिय प्रि’ आह्लाद रे इसका ! | + | प्रिय प्रि’ आह्लाद रे इसका ! |
− | जग जीवन में हैं सुख-दुख, | + | जग जीवन में हैं सुख-दुख, |
− | सुख-दुख में है जग जीवन; | + | सुख-दुख में है जग जीवन; |
− | हैं बँधे बिछोह-मिलन दो | + | हैं बँधे बिछोह-मिलन दो |
− | देकर चिर स्नेहालिंगन ! | + | देकर चिर स्नेहालिंगन ! |
− | जीवन की लहर-लहर से | + | जीवन की लहर-लहर से |
− | हँस खेल-खेल रे नाविक ! | + | हँस खेल-खेल रे नाविक ! |
− | जीवन के अंतस्तल में | + | जीवन के अंतस्तल में |
− | नित बूड़-बूड़ रे भाविक ! | + | नित बूड़-बूड़ रे भाविक ! |
(फरवरी,1932) | (फरवरी,1932) | ||
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13:06, 13 अक्टूबर 2009 का अवतरण
सागर की लहर लहर में
है हास स्वर्ण किरणों का,
सागर के अंतस्तन में
अवसाद अवाक् कणों का !
यह जीवन का है सागर,
जग-जीवन का है सागर,
प्रिय-प्रिय विषाद रे इसका
प्रिय प्रि’ आह्लाद रे इसका !
जग जीवन में हैं सुख-दुख,
सुख-दुख में है जग जीवन;
हैं बँधे बिछोह-मिलन दो
देकर चिर स्नेहालिंगन !
जीवन की लहर-लहर से
हँस खेल-खेल रे नाविक !
जीवन के अंतस्तल में
नित बूड़-बूड़ रे भाविक !
(फरवरी,1932)