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"आजु हौं एक एक करि टरिहौं / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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06:07, 15 अक्टूबर 2009 का अवतरण
आजु हौं एक-एक करि टरिहौं।
के तुमहीं के हमहीं, माधौ, अपुन भरोसे लरिहौं।
हौं तौ पतित सात पीढिन कौ, पतिते ह्वै निस्तरिहौं।
अब हौं उघरि नच्यो चाहत हौं, तुम्हे बिरद बिन करिहौं।
कत अपनी परतीति नसावत, मैं पायौ हरि हीरा।
सूर पतित तबहीं उठिहै, प्रभु, जब हँसि दैहौ बीरा।