भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आया वसंत आया वसंत / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी }} <poem> आया वसंत आया वसंत छाई जग म...) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | ||
− | }} | + | }} |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
आया वसंत आया वसंत | आया वसंत आया वसंत | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 28: | ||
इस सुख का हो अब नही अंत | इस सुख का हो अब नही अंत | ||
घर-घर में छाये नित वसंत। | घर-घर में छाये नित वसंत। | ||
+ | </poem> |
09:43, 17 अक्टूबर 2009 का अवतरण
आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत।
सरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
आया वसंत आया वसंत।
लेकर सुगंध बह रहा पवन
हरियाली छाई है बन बन,
सुंदर लगता है घर आँगन
है आज मधुर सब दिग दिगंत
आया वसंत आया वसंत।
भौरे गाते हैं नया गान,
कोकिला छेड़ती कुहू तान
हैं सब जीवों के सुखी प्राण,
इस सुख का हो अब नही अंत
घर-घर में छाये नित वसंत।