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वंदना / सोहनलाल द्विवेदी

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[[Category:सोहनलाल द्विवेदी]][[Category:कविताएँ]]{{KKGlobal}}{{KKSandarbhKKRachna|लेखकरचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी|पुस्तक=वासंती|प्रकाशक=इंडियन प्रेस प्राइवेट लिमिटेड, इलाहाबाद|वर्ष=|पृष्ठ=
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<poem>
वंदिनी तव वंदना में
कौन सा मैं गीत गाऊँ?
वंदिनी तव वंदना स्वर उठे मेरा गगन पर, बने गुंजित ध्वनित मन पर, कोटि कण्ठों में<br>तुम्हारी कौन सा मैं गीत गाऊँवेदना कैसे बजाऊँ?<br><br>
स्वर उठे मेरा गगन परफिर, न कसकें क्रूर कड़ियाँ,<br>बने गुंजित ध्वनित मन परबनें शीतल जलन–घड़ियाँ,<br>कोटि कण्ठों में तुम्हारी<br>प्राण का चन्दन तुम्हारे वेदना कैसे बजाऊँकिस चरण तल पर लगाऊँ?<br><br>
फिर, धूलि लुiण्ठत हो कसकें क्रूर कड़ियाँअलकें,<br>बनें शीतल जलन–घड़ियाँखिलें पा नवज्योति पलकें,<br>प्राण का चन्दन तुम्हारे<br>दुर्दिनों में भाग्य की किस चरण तल पर लगाऊँमधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँ?<br><br>
धूलि लुiण्ठत हो न अलकें,<br>खिलें तुम उठो माँ! पा नवज्योति पलकेंनवल बल,<br>दुर्दिनों दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल! इस निबिड़ नीरव निशा में भाग्य किस उषा की<br>मधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँरश्मि लाऊँ?<br><br>
तुम उठो माँ! पा नवल बल,<br>दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल!<br>इस निबिड़ नीरव निशा में<br>किस उषा की रश्मि लाऊँ?<br><br> वन्दिनी तव वन्दना में<br>कौन सा मैं गीत गाऊँ? <br><br/poem>
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