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"डाली की तरह चाल लचक उठती है / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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13:13, 19 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
डाली की तरह चाल लचक उठती है
ख़ुशबू से हर इक साँस छलक उठती है
जूड़े में जो वो फूल लगा देते हैं
अंदर से मेरी रूह महक उठती है