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सपनों की दुनिया में जीते-जीते उन्हीं को कब कागज़ पर लिखना शुरू कर दिया पता ही न चला, सपने जब धरातल से मिले और उनका रूप बदलता चला गया ।
और दुनिया से मिले अनुभव भी मेरी गज़लों का हिस्सा बन गए ।
तो आप भी योगदान देकर उसे हम सबके पढ़ने के लिए उपलब्ध करा सकते हैं
कविताकोश में संकलित ग़ज़लें ... http://kavitakosh.org/shrddha
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