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"मुझे भी दीजिए अख़बार / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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मुझे भी दीजिए अख़बार का वरक़ कोई
 
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मगर वह जिसमें दवाओं का इश्तेहार न हो
 
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जो हैं शुमार में कौड़ी के तीन हैं इस वक़्त
 
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यही है ख़ूब, किसी में मेरा शुमार न हो
 
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गिला यह जब्र क्यों कर रहे हो ऐ ’अकबर’
 
गिला यह जब्र क्यों कर रहे हो ऐ ’अकबर’
 
सुकूत ही है मुनासिब जब अख़्तियार न हो
 
सुकूत ही है मुनासिब जब अख़्तियार न हो
 
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21:05, 23 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मुझे भी दीजिए अख़बार का वरक़ कोई
मगर वह जिसमें दवाओं का इश्तेहार न हो

जो हैं शुमार में कौड़ी के तीन हैं इस वक़्त
यही है ख़ूब, किसी में मेरा शुमार न हो

गिला यह जब्र क्यों कर रहे हो ऐ ’अकबर’
सुकूत ही है मुनासिब जब अख़्तियार न हो