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अपने खेत में / नागार्जुन

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'''यहाँ पर कविता का कुछ अंश है | अगर आप के पास सम्पूर्ण कविता है तो कृपया उसे जोड़ दे |'''
<poem>अपने खेत में हल चला रहा हूँ<br>इन दिनों बुआई चल रही है<br>इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही<br>मेरे लिए बीज जुटाती हैं<br>हाँ, बीज में घुन लगा हो तो<br>अंकुर कैसे निकलेंगे!<br>जाहिर है<br>बाजारू बीजों की<br>निर्मम छँटाई करूँगा<br>खाद और उर्वरक और<br>सिंचाई के साधनों में भी<br>पहले से जियादा ही<br>चौकसी बरतनी है<br>मकबूल फिदा हुसैन की<br>चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक<br>हमारी खेती को चौपट<br>कर देगी!<br>जी, आप<br>अपने रूमाल में<br>
गाँठ बाँध लो, बिल्कुल!!
</poem>
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