Changes

बरफ पड़ी है / नागार्जुन

81 bytes removed, 06:44, 25 अक्टूबर 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नागार्जुन|संग्रह=
}}
[[Category:कविताएँ]][[Category:नागार्जुन]]{{KKCatKavita‎}}<Poempoem>
बरफ़ पड़ी है
सर्वश्वेत पार्वती प्रकृति निस्तब्ध खड़ी है
चली गईं हैं दूर-दूर तक
नीचे-ऊपर बहुत दूर तक
सूनी-सूनी सड़कें <br>
मैं जिसमें ठहरा हूँ वह भी छोटा-सा बंगला है—
पिछवाड़े का कमरा जिसमें एक मात्र जंगला है
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,226
edits