भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"व्याकुलता का केन्द्र / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=धार के इधर उधर / हरिवंशर…)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:50, 26 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

जग की व्याकुलता का केंद्र—

जहाँ छिड़ा लोहित संग्राम,
जहाँ मचा रौरव कुहराम,
पटा हताहत से जो ठाम!
वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं।
जग की व्याकुलता का केंद्र।

जहां बली का अत्याचार,
जहां निबल की चीख-पुकार,
रक्त, स्वेद, आँसू की धार!
वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं।
जग की व्याकुलता का केंद्र।

जहाँ घृणा करती है वास,
जहाँ शक्ति की अनबुझ प्यास,
जहाँ न मानव पर विश्वास,
उसी हृदय में, उसी हृदय में, उसी हृदय में, वहीं, वहीं।
जग की व्याकुलता का केंद्र।