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"मुरली निर्माण / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर
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गड़ने दो
यदि फाँसें गड़ी हैं उँगलियों में:
मुरली बनाने का यह है अनिवार्य क्रम!
फिर इन्हीं उँगलियों के मादक स्पर्शों से
बाजेगी मुरली फिर अपने अनियारे स्वर
नहीं, नहीं, वृथा नहीं गया
यह सारा श्रम!