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"मुरली निर्माण / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

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21:43, 26 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

गड़ने दो
यदि फाँसें गड़ी हैं उँगलियों में:
मुरली बनाने का यह है अनिवार्य क्रम!

फिर इन्हीं उँगलियों के मादक स्पर्शों से
बाजेगी मुरली फिर अपने अनियारे स्वर
नहीं, नहीं, वृथा नहीं गया
यह सारा श्रम!