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"मन माधवको नेकु निहारहि / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर

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मन माधवको नेकु निहारहि।
 
मन माधवको नेकु निहारहि।
 
सुनु सथ, सदा रंककेधन ज्यों, छिन-छिन प्रभुहिं सँभारहि॥
 
सुनु सथ, सदा रंककेधन ज्यों, छिन-छिन प्रभुहिं सँभारहि॥
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जो बिनु जोग, जग्य, ब्रत, संयम गयो चहै भव पारहि।
 
जो बिनु जोग, जग्य, ब्रत, संयम गयो चहै भव पारहि।
 
तौ जनि तुलसीदास निसि बासर हरि-पद कमल बिसारहि॥
 
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22:45, 26 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मन माधवको नेकु निहारहि।
सुनु सथ, सदा रंककेधन ज्यों, छिन-छिन प्रभुहिं सँभारहि॥
सोभा-सील ग्यान-गुन-मंदिर, सुंदर, परम उदारहि।
रंजन संत,अखिल अघ गंजन, भंजन बिषय बिकारहि॥
जो बिनु जोग, जग्य, ब्रत, संयम गयो चहै भव पारहि।
तौ जनि तुलसीदास निसि बासर हरि-पद कमल बिसारहि॥