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अति कठिन करहिं बर जोरा। मानहिं नहिं बिनय निहोरा॥ | अति कठिन करहिं बर जोरा। मानहिं नहिं बिनय निहोरा॥ | ||
तम, मोह, लोभ अहँकारा। मद, क्रोध, बोध रिपु मारा॥ | तम, मोह, लोभ अहँकारा। मद, क्रोध, बोध रिपु मारा॥ | ||
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23:36, 26 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
मैं केहि कहौ बिपति अति भारी। श्रीरघुबीर धीर हितकारी॥
मम ह्रदय भवन प्रभु तोरा। तहँ बसे आइ बहु चोरा॥
अति कठिन करहिं बर जोरा। मानहिं नहिं बिनय निहोरा॥
तम, मोह, लोभ अहँकारा। मद, क्रोध, बोध रिपु मारा॥
अति करहिं उपद्रव नाथा। मरदहिं मोहि जानि अनाथा॥