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"निर्बल का बल / मैथिलीशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर

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निशिदिन आठों याम है।<br>
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हृदय, भय का क्या काम है।।<br>
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01:11, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

निर्बल का बल राम है।
हृदय ! भय का क्या काम है।।

राम वही कि पतित-पावन जो
परम दया का धाम है,
इस भव – सागर से उद्धारक
तारक जिसका नाम है।
हृदय, भय का क्या काम है।।

तन-बल, मन-बल और किसी को
धन-बल से विश्राम है,
हमें जानकी – जीवन का बल
निशिदिन आठों याम है।
हृदय, भय का क्या काम है।।