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"नख़रेदार / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर

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भूख लगी है
 
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चलो, कहीं कुछ खाएं ।
 
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देखता रहा उसको
 
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खाते हुए लगती है कैसी,
 
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देखती रही मुझको
 
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खाते हुए लगता हूँ कैसा ।
 
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नख़रेदार पानी पिया
 
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नख़रेदार सिगरेट
 
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ढाई घंटे बैठ वहाँ
 
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बाहर निकल आए ।
 
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09:49, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

भूख लगी है
चलो, कहीं कुछ खाएं ।

देखता रहा उसको
खाते हुए लगती है कैसी,

देखती रही मुझको
खाते हुए लगता हूँ कैसा ।

नख़रेदार पानी पिया
नख़रेदार सिगरेट
ढाई घंटे बैठ वहाँ
बाहर निकल आए ।