भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आई में आ गए / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=काका हाथरसी |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | [[Category:हास्य रस]] | |
+ | <poem> | ||
सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए। | सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए। | ||
− | |||
टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये। | टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये। | ||
− | |||
सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का। | सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का। | ||
− | |||
डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये । | डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये । | ||
− | |||
अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर। | अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर। | ||
− | |||
ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये । | ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये । | ||
− | |||
भूंखो के पेट देखकर नेताजी रो पडे । | भूंखो के पेट देखकर नेताजी रो पडे । | ||
− | |||
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये । | पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये । | ||
− | |||
जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा । | जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा । | ||
− | |||
मारी छलांग खाई से “आई“ में आ गये । | मारी छलांग खाई से “आई“ में आ गये । | ||
− | |||
करते रहो आलोचना देते रहो गाली | करते रहो आलोचना देते रहो गाली | ||
− | |||
मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए । | मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए । | ||
− | |||
काका ने पूछा 'साहब ये लेडी कौन है' | काका ने पूछा 'साहब ये लेडी कौन है' | ||
− | |||
थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए।। | थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए।। | ||
+ | </poem> |
00:11, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए।
टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये।
सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का।
डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये ।
अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर।
ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये ।
भूंखो के पेट देखकर नेताजी रो पडे ।
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये ।
जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा ।
मारी छलांग खाई से “आई“ में आ गये ।
करते रहो आलोचना देते रहो गाली
मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए ।
काका ने पूछा 'साहब ये लेडी कौन है'
थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए।।