लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=काका हाथरसी ]][[Category:कविताएँ]]}}{{KKCatKavita}}[[Category:काका हाथरसी हास्य रस]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~<poem>
नाम - रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ?
नाम मिला कुछ और तो शक्ल - अक्ल कुछ और
‘ काका ' कोई - कोई रिश्ता बड़ा निकम्मा
पार्वती देवी हैं शिवशंकर की अम्मा
</poem>