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"आरती श्री उल्लूजी की / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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जय उल्लू पापा ! ओम् जय उल्लू पापा।
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सब पक्षिन में श्रेष्ठ, अर्थ के फीते से नापा। ओम्...।
  
जय उल्लू पापा ! ओम् जय उल्लू पापा। <br>
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श्याम सलोने मुख पर शोभित अँखियाँ द्वय ऐसे।
सब पक्षिन में श्रेष्ठ, अर्थ के फीते से नापा। ओम्...।<br><br>
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चिपक रहीं प्राचीन चवन्नी चाँदी की जैसे। ओम्...।
  
श्याम सलोने मुख पर शोभित अँखियाँ द्वय ऐसे। <br>
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लक्ष्मी-वाहक दरिद्र-नाशक महिमा जगजानी।
चिपक रहीं प्राचीन चवन्नी चाँदी की जैसे। ओम्...।<br><br>
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सरस्वती का हंस आपका भरता है पानी। ओम्..।
  
लक्ष्मी-वाहक दरिद्र-नाशक महिमा जगजानी।<br>
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अर्थवाद ने बुद्धिवाद के दाँत किए खट्टे।
सरस्वती का हंस आपका भरता है पानी। ओम्..।<br><br>
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विद्वज्जन हैं दुखी, सुखी हैं सब ‘तुम्हरे पट्ठे’। ओम्...।
  
अर्थवाद ने बुद्धिवाद के दाँत किए खट्टे।<br>
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जब ‘पक्षी-सरकार’ बने तुम डबल सीट पाओ।
विद्वज्जन हैं दुखी, सुखी हैं सब ‘तुम्हरे पट्ठे’। ओम्...।<br><br>
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प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री खुद बन जाओ। ओम्...।
  
जब ‘पक्षी-सरकार’ बने तुम डबल सीट पाओ।<br>
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सभी लखपती बनें, न हो कोई भूखा-नंगा।
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री खुद बन जाओ। ओम्...।<br><br>
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बहे देश के गाँव-गाँव में, नोटों की गंगा। ओम्...।
  
सभी लखपती बनें, न हो कोई भूखा-नंगा। <br>
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पूँजीवादी पक्षी तुम सम और नहीं दूजा।
बहे देश के गाँव-गाँव में, नोटों की गंगा। ओम्...।<br><br>
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वित्तमंत्री, नित्य आपकी करते हैं पूजा। ओम्...।
  
पूँजीवादी पक्षी तुम सम और नहीं दूजा। <br>
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उल्लू जी की आरति यदि राजा-रानी गाते।
वित्तमंत्री, नित्य आपकी करते हैं पूजा। ओम्...।<br><br>
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उल्लू जी की आरति यदि राजा-रानी गाते। <br>
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‘काका’ उनके प्रिवीपर्स छिनने से बच जाते। ओम्...।
 
‘काका’ उनके प्रिवीपर्स छिनने से बच जाते। ओम्...।
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00:37, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

जय उल्लू पापा ! ओम् जय उल्लू पापा।
सब पक्षिन में श्रेष्ठ, अर्थ के फीते से नापा। ओम्...।

श्याम सलोने मुख पर शोभित अँखियाँ द्वय ऐसे।
चिपक रहीं प्राचीन चवन्नी चाँदी की जैसे। ओम्...।

लक्ष्मी-वाहक दरिद्र-नाशक महिमा जगजानी।
सरस्वती का हंस आपका भरता है पानी। ओम्..।

अर्थवाद ने बुद्धिवाद के दाँत किए खट्टे।
विद्वज्जन हैं दुखी, सुखी हैं सब ‘तुम्हरे पट्ठे’। ओम्...।

जब ‘पक्षी-सरकार’ बने तुम डबल सीट पाओ।
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री खुद बन जाओ। ओम्...।

सभी लखपती बनें, न हो कोई भूखा-नंगा।
बहे देश के गाँव-गाँव में, नोटों की गंगा। ओम्...।

पूँजीवादी पक्षी तुम सम और नहीं दूजा।
वित्तमंत्री, नित्य आपकी करते हैं पूजा। ओम्...।

उल्लू जी की आरति यदि राजा-रानी गाते।
‘काका’ उनके प्रिवीपर्स छिनने से बच जाते। ओम्...।