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"सुघर सलोने स्याम सुंदर सुजान कान्ह / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'" के अवतरणों में अंतर

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करुना-निधान के बसीठ बनि आए हौ।
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सुघर सलोने स्याम सुंदर सुजान कान्ह,
 
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::::करुना-निधान के बसीठ बनि आए हौ।
 
प्रेम-प्रनधारी गिरधारी को सनेसो नाहिं,
 
प्रेम-प्रनधारी गिरधारी को सनेसो नाहिं,
होत हैं अंदेश झूठ बोलत बनाए हौ॥
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::::होत हैं अंदेश झूठ बोलत बनाए हौ॥
 
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ज्ञान गुन गौरव-गुमान-भरे फूले फिरौ,
 
ज्ञान गुन गौरव-गुमान-भरे फूले फिरौ,
बंचक के काज पै न रंचक बराए हौ।
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::::बंचक के काज पै न रंचक बराए हौ।
 
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रसिक-सिरोमनि को नाम बदनाम करौ,
 
रसिक-सिरोमनि को नाम बदनाम करौ,
मेरी जान ऊधो कूर-कूबरी पठाए हौ॥
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::::मेरी जान ऊधो कूर-कूबरी पठाए हौ॥
 
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09:33, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

सुघर सलोने स्याम सुंदर सुजान कान्ह,
करुना-निधान के बसीठ बनि आए हौ।
प्रेम-प्रनधारी गिरधारी को सनेसो नाहिं,
होत हैं अंदेश झूठ बोलत बनाए हौ॥
ज्ञान गुन गौरव-गुमान-भरे फूले फिरौ,
बंचक के काज पै न रंचक बराए हौ।
रसिक-सिरोमनि को नाम बदनाम करौ,
मेरी जान ऊधो कूर-कूबरी पठाए हौ॥