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"हम से जाओ न बचाकर आँखें / अंजना संधीर" के अवतरणों में अंतर
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यूँ गिराओ न उठाकर आँखें | यूँ गिराओ न उठाकर आँखें |
10:22, 31 अक्टूबर 2009 का अवतरण
हम से जाओ न बचाकर आँखें
यूँ गिराओ न उठाकर आँखें
ख़ामोशॊ दूर तलक फ़ैली है
बोलिए कुछ तो उठाकर आँखॆं
अब हमें कोई तमन्ना ही नहीं
चैन से हैं उन्हें पाकर आँखॆं
मुझको जीने का सलीका आया
ज़िन्दगी ! तुझसे मिलाकर आँखें।