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"दोस्त / अंशु मालवीय" के अवतरणों में अंतर

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आश्वसित  
 
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मुँह से क्या कहूँ,  
 
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मेरा तो पूरा वजूद  
 
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तेरे लिये शुभकामना है मेरे दोस्त !  
 
तेरे लिये शुभकामना है मेरे दोस्त !  
 
 
 
तुझे क्या बताऊँ  
 
तुझे क्या बताऊँ  
 
 
 
कि बिना दोस्त के नास्तिक नहीं हुआ जा सकता –  
 
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समाज में असुरक्षा है बहुत,  
 
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आदमी के डर ने बनाया है ईश्वर  
 
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और उसके साहस ने बनाई है दोस्ती  
 
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तुझसे क्या क़रार लूँ,  
 
तुझसे क्या क़रार लूँ,  
 
 
 
तेरा पूरा वजूद ही  
 
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मेरे लिये आश्वस्ति है
 
मेरे लिये आश्वस्ति है
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11:14, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

आश्वसित
मुँह से क्या कहूँ,
मेरा तो पूरा वजूद
तेरे लिये शुभकामना है मेरे दोस्त !
तुझे क्या बताऊँ
कि बिना दोस्त के नास्तिक नहीं हुआ जा सकता –
समाज में असुरक्षा है बहुत,
आदमी के डर ने बनाया है ईश्वर
और उसके साहस ने बनाई है दोस्ती
तुझसे क्या क़रार लूँ,
तेरा पूरा वजूद ही
मेरे लिये आश्वस्ति है