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"कश्मीरी मुसलमान-1 / अग्निशेखर" के अवतरणों में अंतर

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कितना भीग जाता है मेरा मन
 
कितना भीग जाता है मेरा मन

23:37, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

कितना भीग जाता है मेरा मन
खुली-खुली पलकों से आकर
                   टकराता है घर
मेरा देश
पूरा परिवेश
खुलती हैं घुमावदार गलियाँ
उनमें खेलने लग पड़ता है बचपन
बतियाती हैं पड़ोस की अधेड़ महिलाएँ
                    मज़हब से परे होकर
एक बूंद आँसू से धुल जाती हैं
शिकायतें
जलावतनी में जब देखता हूँ
किसी भी कश्मीरी मुसलमान को