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"दुख / अचल वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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भोर की धूप का गुनगुना टुकड़ा | भोर की धूप का गुनगुना टुकड़ा | ||
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कमरे में प्रवेश कर गया है | कमरे में प्रवेश कर गया है | ||
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अंधेरे बंद कमरे का कोना-कोना | अंधेरे बंद कमरे का कोना-कोना | ||
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उजास से भर गया है | उजास से भर गया है | ||
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एक बच्चा है | एक बच्चा है | ||
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जो किलकारियाँ मारता | जो किलकारियाँ मारता | ||
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मेरी गोद में आ गया है | मेरी गोद में आ गया है | ||
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एकांत में सैकड़ों गुलाब चिटख गए हैं | एकांत में सैकड़ों गुलाब चिटख गए हैं | ||
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काँटों से गुँथे हुए गुलाब | काँटों से गुँथे हुए गुलाब | ||
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एक धुन है जो अंतहीन निविड़ में | एक धुन है जो अंतहीन निविड़ में | ||
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दूर तक गहरे उतरती है | दूर तक गहरे उतरती है | ||
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मेरे चारों ओर उसने | मेरे चारों ओर उसने | ||
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एक रक्षा-कवच बुन दिया है | एक रक्षा-कवच बुन दिया है | ||
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अब मैं तमाम हादसों के बीच | अब मैं तमाम हादसों के बीच | ||
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सुरक्षित गुज़र सकता हूँ | सुरक्षित गुज़र सकता हूँ | ||
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23:52, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
उसे जब पहली बार देखा
लगा जैसे
भोर की धूप का गुनगुना टुकड़ा
कमरे में प्रवेश कर गया है
अंधेरे बंद कमरे का कोना-कोना
उजास से भर गया है
एक बच्चा है
जो किलकारियाँ मारता
मेरी गोद में आ गया है
एकांत में सैकड़ों गुलाब चिटख गए हैं
काँटों से गुँथे हुए गुलाब
एक धुन है जो अंतहीन निविड़ में
दूर तक गहरे उतरती है
मेरे चारों ओर उसने
एक रक्षा-कवच बुन दिया है
अब मैं तमाम हादसों के बीच
सुरक्षित गुज़र सकता हूँ