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कहीं न कहीं | कहीं न कहीं | ||
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वह कभी आग | वह कभी आग | ||
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23:55, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
हर शब्द
कहीं न कहीं
कुछ बोलता है
वह कभी आग
कभी काला धुआँ
कभी धुएँ का
अहसास होता है
आओ, इस शब्द को
जलती आग-सा जिएँ