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करते मरीज़ की छिंगुनी में | करते मरीज़ की छिंगुनी में | ||
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एक बार जब अचानक | एक बार जब अचानक | ||
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ज़रा सी हरकत हुई... | ज़रा सी हरकत हुई... | ||
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तुम्हारा मुख-कमल खिल उठा | तुम्हारा मुख-कमल खिल उठा | ||
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उत्साहित होकर तुम बोलीं- | उत्साहित होकर तुम बोलीं- | ||
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लौटेगी ज़रूर, उंगलियों की ताक़त फिर लौटेगी। | लौटेगी ज़रूर, उंगलियों की ताक़त फिर लौटेगी। | ||
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लेकिन इस विडंबना से नियति की | लेकिन इस विडंबना से नियति की | ||
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तुम कहाँ तक लड़ सकती थीं कि | तुम कहाँ तक लड़ सकती थीं कि | ||
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तनिक देर की उस जुंबिश के फिर से | तनिक देर की उस जुंबिश के फिर से | ||
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लौटने का इंतज़ार बेहद लंबा होता गया। | लौटने का इंतज़ार बेहद लंबा होता गया। | ||
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11:38, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मुट्ठी बांधने की असफल कोशिश
करते मरीज़ की छिंगुनी में
एक बार जब अचानक
ज़रा सी हरकत हुई...
तुम्हारा मुख-कमल खिल उठा
उत्साहित होकर तुम बोलीं-
लौटेगी ज़रूर, उंगलियों की ताक़त फिर लौटेगी।
लेकिन इस विडंबना से नियति की
तुम कहाँ तक लड़ सकती थीं कि
तनिक देर की उस जुंबिश के फिर से
लौटने का इंतज़ार बेहद लंबा होता गया।