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"ज़रूरत / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर
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मेरे साथ जुड़ी हैं कुछ मेरी ज़रूरतें | मेरे साथ जुड़ी हैं कुछ मेरी ज़रूरतें | ||
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उनमें एक तुम हो। | उनमें एक तुम हो। | ||
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चाहूँ या न चाहूँ : | चाहूँ या न चाहूँ : | ||
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जब ज़रूरत हो तुम, | जब ज़रूरत हो तुम, | ||
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तो तुम हो मुझ में | तो तुम हो मुझ में | ||
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और पूरे अन्त तक रहोगी। | और पूरे अन्त तक रहोगी। | ||
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इससे यह सिद्ध कहाँ होता कि | इससे यह सिद्ध कहाँ होता कि | ||
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मैं भी तुम्हारे लिए | मैं भी तुम्हारे लिए | ||
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उसी तरह ज़रूरी। | उसी तरह ज़रूरी। | ||
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देखो न! | देखो न! | ||
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आदमी को हवा चाहिए ज़िन्दा रहने को | आदमी को हवा चाहिए ज़िन्दा रहने को | ||
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पर हवा तो | पर हवा तो | ||
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आदमी की अपेक्षा नहीं करती, | आदमी की अपेक्षा नहीं करती, | ||
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वह अपने आप जीवित है। | वह अपने आप जीवित है। | ||
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डाली पर खिला था एक फूल, | डाली पर खिला था एक फूल, | ||
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छुआ तितली ने, | छुआ तितली ने, | ||
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रस लेकर उड़ गई। | रस लेकर उड़ गई। | ||
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पर | पर | ||
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फूल वह तितली मय हो चुका था। | फूल वह तितली मय हो चुका था। | ||
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झरी पँखुरी एक : तितली। | झरी पँखुरी एक : तितली। | ||
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फिर दूसरी भी : तितली। | फिर दूसरी भी : तितली। | ||
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फिर सबकी सब : तितली। | फिर सबकी सब : तितली। | ||
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छूँछें वृन्त पर बाक़ी | छूँछें वृन्त पर बाक़ी | ||
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बची ख़ुश्की जो : तितली। | बची ख़ुश्की जो : तितली। | ||
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कोमलता | कोमलता | ||
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अंतिम क्षण तक | अंतिम क्षण तक | ||
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यह बताकर ही गई : | यह बताकर ही गई : | ||
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'मैं वहाँ भी हूँ, | 'मैं वहाँ भी हूँ, | ||
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जहाँ मेरी कोई ज़रूरत नहीं।' | जहाँ मेरी कोई ज़रूरत नहीं।' | ||
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11:38, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरे साथ जुड़ी हैं कुछ मेरी ज़रूरतें
उनमें एक तुम हो।
चाहूँ या न चाहूँ :
जब ज़रूरत हो तुम,
तो तुम हो मुझ में
और पूरे अन्त तक रहोगी।
इससे यह सिद्ध कहाँ होता कि
मैं भी तुम्हारे लिए
उसी तरह ज़रूरी।
देखो न!
आदमी को हवा चाहिए ज़िन्दा रहने को
पर हवा तो
आदमी की अपेक्षा नहीं करती,
वह अपने आप जीवित है।
डाली पर खिला था एक फूल,
छुआ तितली ने,
रस लेकर उड़ गई।
पर
फूल वह तितली मय हो चुका था।
झरी पँखुरी एक : तितली।
फिर दूसरी भी : तितली।
फिर सबकी सब : तितली।
छूँछें वृन्त पर बाक़ी
बची ख़ुश्की जो : तितली।
कोमलता
अंतिम क्षण तक
यह बताकर ही गई :
'मैं वहाँ भी हूँ,
जहाँ मेरी कोई ज़रूरत नहीं।'