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बादल पराये हैं ।
 
बादल पराये हैं ।
 
 
:इसीलिये शायद ये जन-मन को भाये हैं ।
 
:इसीलिये शायद ये जन-मन को भाये हैं ।
 
 
:::::पल भर रहेंगे ये,
 
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::::::दुख नहीं सहेंगे ये,
 
::::::दुख नहीं सहेंगे ये,
 
 
:भार लिये धाराधर मुझ पर झुक आये हैं ।
 
:भार लिये धाराधर मुझ पर झुक आये हैं ।
 
 
 
:::::अपने जो: देते सुख,
 
:::::अपने जो: देते सुख,
 
 
::::::दूसरे भले दें दुख-
 
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:आँसू के कन मैंने इनसे ही पाये हैं ।
 
:आँसू के कन मैंने इनसे ही पाये हैं ।
 
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::बादल पराये हैं ।  
 
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आसमान अपना है ।
 
आसमान अपना है ।
 
 
:जैसे मुझको वैसे इसको भी तपना है ।
 
:जैसे मुझको वैसे इसको भी तपना है ।
 
 
 
:::::भागे तो जाय कहाँ,
 
:::::भागे तो जाय कहाँ,
 
 
::::::मुक्ति भला पाय कहाँ,
 
::::::मुक्ति भला पाय कहाँ,
 
 
:उसको तो इसी जगह मरना है, खपना है ।
 
:उसको तो इसी जगह मरना है, खपना है ।
 
 
 
::::::और भी समानता
 
::::::और भी समानता
 
 
::::::मैं हूँ पहचानता-
 
::::::मैं हूँ पहचानता-
 
 
:आसमान भी, मैं भी : सब कैसा सपना है ।
 
:आसमान भी, मैं भी : सब कैसा सपना है ।
 
 
 
:::आसमान अपना है ।
 
:::आसमान अपना है ।
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11:52, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बादल पराये हैं ।
इसीलिये शायद ये जन-मन को भाये हैं ।
पल भर रहेंगे ये,
दुख नहीं सहेंगे ये,
भार लिये धाराधर मुझ पर झुक आये हैं ।
अपने जो: देते सुख,
दूसरे भले दें दुख-
आँसू के कन मैंने इनसे ही पाये हैं ।
बादल पराये हैं ।
आसमान अपना है ।
जैसे मुझको वैसे इसको भी तपना है ।
भागे तो जाय कहाँ,
मुक्ति भला पाय कहाँ,
उसको तो इसी जगह मरना है, खपना है ।
और भी समानता
मैं हूँ पहचानता-
आसमान भी, मैं भी : सब कैसा सपना है ।
आसमान अपना है ।