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ये जो चेहरे पर खिंची लकीरें हैं… | ये जो चेहरे पर खिंची लकीरें हैं… | ||
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:::ये हँसने से, गाने से, | :::ये हँसने से, गाने से, | ||
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:::अंकित होनेवाली तस्वीरें हैं । | :::अंकित होनेवाली तस्वीरें हैं । | ||
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ये जो अपनी वय से ज़्यादा | ये जो अपनी वय से ज़्यादा | ||
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दिखनेवाले, माथे पर के | दिखनेवाले, माथे पर के | ||
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टेढे-मेढे बल हैं— | टेढे-मेढे बल हैं— | ||
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:::ये, वे सारे पल हैं, | :::ये, वे सारे पल हैं, | ||
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:::जो हमने बाँट दिए, | :::जो हमने बाँट दिए, | ||
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:::या आँखों-आँखों में ही | :::या आँखों-आँखों में ही | ||
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:::रखकर काट दिए । | :::रखकर काट दिए । | ||
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सबकी निगाह में ‘बोझ’— | सबकी निगाह में ‘बोझ’— | ||
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वही तो मेरे संबल हैं । | वही तो मेरे संबल हैं । | ||
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जो माथे पर टेढे-मेढे, आड़े-तिरछे | जो माथे पर टेढे-मेढे, आड़े-तिरछे | ||
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पहले ही जैसी शान्त-सहज | पहले ही जैसी शान्त-सहज | ||
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जिज्ञासा आँखों में । | जिज्ञासा आँखों में । | ||
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‘जो व्यक्त नहीं की गई’— | ‘जो व्यक्त नहीं की गई’— | ||
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खुशी कुछ ऐसी होंठों पर । | खुशी कुछ ऐसी होंठों पर । | ||
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सब कुछ तो बदल गया | सब कुछ तो बदल गया | ||
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मुख का भाव नहीं बदला । | मुख का भाव नहीं बदला । | ||
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संघर्ष, घुटन, | संघर्ष, घुटन, | ||
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हारी बाज़ी, लाचारी । | हारी बाज़ी, लाचारी । | ||
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पर | पर | ||
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जीवन जीने का चाव नहीं बदला । | जीवन जीने का चाव नहीं बदला । | ||
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सब कुछ तो बदल गया | सब कुछ तो बदल गया | ||
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पर मुख का भाव…। | पर मुख का भाव…। | ||
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20:53, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
1
ये जो चेहरे पर खिंची लकीरें हैं…
ये हँसने से, गाने से,
गाते रहने से
अंकित होनेवाली तस्वीरें हैं ।
ये जो अपनी वय से ज़्यादा
दिखनेवाले, माथे पर के
टेढे-मेढे बल हैं—
ये, वे सारे पल हैं,
जो हमने बाँट दिए,
या आँखों-आँखों में ही
रखकर काट दिए ।
सबकी निगाह में ‘बोझ’—
वही तो मेरे संबल हैं ।
जो माथे पर टेढे-मेढे, आड़े-तिरछे
बल हैं ।
2
पहले ही जैसी शान्त-सहज
जिज्ञासा आँखों में ।
‘जो व्यक्त नहीं की गई’—
खुशी कुछ ऐसी होंठों पर ।
सब कुछ तो बदल गया
पर
मुख का भाव नहीं बदला ।
संघर्ष, घुटन,
हारी बाज़ी, लाचारी ।
पर
जीवन जीने का चाव नहीं बदला ।
सब कुछ तो बदल गया
पर मुख का भाव…।