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"आओ, हम फिर से जियें / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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आओ, हम फिर से जियें ।
 
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बहता-बहता मेघखंड जो
 
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पहुँच गया है वहाँ क्षितिज तक
 
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लौटा  लायें उसे,  
 
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कहें :
 
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‘ओ, फिर से बहो ।
 
‘ओ, फिर से बहो ।
 
 
मन, मन्थर, मृदु गति से …
 
मन, मन्थर, मृदु गति से …
 
 
शोभावाही मेघ, रसीले मेघ, दूत ।
 
शोभावाही मेघ, रसीले मेघ, दूत ।
 
 
जो कथा कही थी, फिर से कहो ।‘
 
जो कथा कही थी, फिर से कहो ।‘
 
  
 
और …
 
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अपलक, अविचल
 
अपलक, अविचल
 
 
हम उसे निरखते रहें, पियें ।
 
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आओ, हम फिर से जियें ।
 
आओ, हम फिर से जियें ।
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20:58, 1 नवम्बर 2009 का अवतरण

आओ, हम फिर से जियें ।

बहता-बहता मेघखंड जो पहुँच गया है वहाँ क्षितिज तक लौटा लायें उसे, कहें : ‘ओ, फिर से बहो । मन, मन्थर, मृदु गति से … शोभावाही मेघ, रसीले मेघ, दूत । जो कथा कही थी, फिर से कहो ।‘

और … अपलक, अविचल हम उसे निरखते रहें, पियें ।

आओ, हम फिर से जियें । </poem>