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: खुल गई नाव
 
: खुल गई नाव

23:36, 1 नवम्बर 2009 का अवतरण

खुल गई नाव
घिर आई संझा, सूरज
डूबा सागर-तीरे।

धुंधले पड़ते से जल-पंछी
भर धीरज से
मूक लगे मंडराने,
सूना तारा उगा
चमक कर
साथी लगा बुलाने।

तब फिर सिहरी हवा
लहरियाँ काँपीं
तब फिर मूर्छित
व्यथा विदा की
जागी धीरे-धीरे।