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"पानी बरसा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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23:51, 1 नवम्बर 2009 का अवतरण
ओ पिया, पानी बरसा !
घास हरी हुलसानी
मानिक के झूमर-सी झूमी मधुमालती
झर पड़े जीते पीत अमलतास
चातकी की वेदना बिरानी।
बादलों का हाशिया है आस-पास
बीच लिखी पाँत काली बिजली की
कूँजों के डार-- कि असाढ़ की निशानी !
ओ पिया, पानी !
मेरा हिया हरसा।
खड़-खड़ कर उठे पात, फड़क उठे गात।
देखने को आँखें, घेरने को बाँहें,
पुरानी कहानी !
ओठ को ओठ, वक्ष को वक्ष--
ओ पिया, पानी !
मेरा जिया तरसा।
ओ पिया, पानी बरसा।
	
	