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"ओ एक ही कली की / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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ओ एक ही कली की
 
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मेरे साथ प्रारब्ध-सी लिपटी हुई
 
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:दूसरी, चम्पई पंखुड़ी!
 
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हमारे खिलते-न-खिलते सुगन्ध तो
 
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हमारे बीच में से होती
 
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उड़ जायेगी!
 
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23:06, 2 नवम्बर 2009 का अवतरण

ओ एक ही कली की
मेरे साथ प्रारब्ध-सी लिपटी हुई
दूसरी, चम्पई पंखुड़ी!
हमारे खिलते-न-खिलते सुगन्ध तो
हमारे बीच में से होती
उड़ जायेगी!