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साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय। <br>
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प्रभू मोरे अवगुण चित धरो ।
मैं भी भूखा रहूँ, साधु ना भूखा जाय॥ <br>
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समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो ॥
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एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो ।
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अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥
 
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कविता कोश में [[कबीर]]
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कविता कोश में [[सूरदास]]
 
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03:15, 3 नवम्बर 2009 का अवतरण

Butterfly-orange-48x48.png  एक काव्य मोती

प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो ।

समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो ॥

एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो ।

अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥
कविता कोश में सूरदास