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"छन्द / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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मैं सभी ओर से खुला हूँ
 
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शब्द में मेरी समाई नहीं होगी
 
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मैं सन्नाटे का छन्द हूँ।
 
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22:13, 3 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मैं सभी ओर से खुला हूँ
वन-सा, वन-सा अपने में बन्द हूँ
शब्द में मेरी समाई नहीं होगी
मैं सन्नाटे का छन्द हूँ।