भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है / अदम गोंडवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है उसी के दम से रौनक आपक...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=अदम गोंडवी
 +
}}
 +
[[Category:ग़ज़ल]]
 +
<poem>
 
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है  
 
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है  
 
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है  
 
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है  
पंक्ति 10: पंक्ति 16:
 
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी  
 
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी  
 
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है
 
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है
 +
</poem>

22:20, 3 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है

इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है

रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है