भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पलायित / सियाराम शरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सियाराम शरण गुप्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>अरे पलायि…)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:51, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अरे पलायित भाव, रूठ कर कहाँ गया तू,
ले आया था आज कौन उपहार नया तू?
मैं था अन्यमनस्क कि एसे में तू आया,
छली, तुझे मैं भली भाँति पहचान न पाया।

आया था क्या कुशलकथा ले नन्दनवन से;
सुमन नयन कर या कि शुभाषा के कानन से;
या कि भविष्यत-जालवेध कुल लाया था तू;
आगामी कुछ दृश्य देख कर आया था तू;

या वार्तावह बना चाहता था तू मेरा
दूर लोक के लिये; इष्ट, क्या था यह तेरा?
बीच मार्ग से लौट गया क्यों निर्मम बन तू;
मेरा विषम विषाद और कर गया सघन तू।