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"मैं राह बना रहा हूँ / अनामिका" के अवतरणों में अंतर

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इतना भीतर चला आया हूँ कि मुझको रास्ता दिखाई नहीं देता
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और जो कुछ भी है मेरे चेहरे के नज़दीक—पत्थर है केवल। 
  
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चक़मक़ परतों में, जैसे कि पड़ा हो अयस्क अकेले—<br>
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यह भीमाकार-सा अंधेरा
इतना भीतर चला आया हूँ कि मुझको रास्ता दिखाई नहीं देता<br>
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छोटा करता है मुझे।
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और जो कुछ भी है मेरे चेहरे के नज़दीक—पत्थर है केवल।<br><br>
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तब तुम्हारा बड़ा बदलाव मुझमें घटित होगा  
यह भीमाकार-सा अँधेरा<br>
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छोटा करता है मुझे।<br>
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मेरे स्वामी बन लो, बनो तुम भयानक और भीतर बैठो।<br><br>
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और मेरी भीषण शोकातुर चीख़<br>
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होगी घटित तुममें।<br>
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20:46, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

संभव है, मैं एक राह बना रहा होऊँ एक ठोस चट्टान में—
चक़मक़ परतों में, जैसे कि पड़ा हो अयस्क अकेले—
इतना भीतर चला आया हूँ कि मुझको रास्ता दिखाई नहीं देता
और मिलता नहीं कोई विस्तार: सब मेरे चेहरे के नज़दीक है—
और जो कुछ भी है मेरे चेहरे के नज़दीक—पत्थर है केवल।

तकलीफ़ में अब तक ज्ञान-वान कुछ नहीं मिला—
यह भीमाकार-सा अंधेरा
छोटा करता है मुझे।
मेरे स्वामी बन लो, बनो तुम भयानक और भीतर बैठो।

तब तुम्हारा बड़ा बदलाव मुझमें घटित होगा
और मेरी भीषण शोकातुर चीख़
होगी घटित तुममें।