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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अनूप सेठी
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मौसम आता है
हवा आती है
प्रवासी पक्षी आते हैं
मौसम बदल जाता है
पेड़ हरे हो जाते हैं
फिर पक्षी चले जाते हैं
मौसम बदल जाता है
पेड़ फड़फड़ाते हैं
हवा ठहर जाती है
पक्षी फिर आएंगे !
(1990)
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