भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ठाले की तपस्या / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (थाली / अनूप सेठी का नाम बदलकर ठाले की तपस्या / अनूप सेठी कर दिया गया है)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अनूप सेठी
 
|रचनाकार=अनूप सेठी
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
आओ  
 
आओ  

22:17, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आओ
बैठें
खाली बिल्कुल
दुनिया के बीच बाज़ार
ठाले से

दुनिया की चीख पुकार
अपना सन्नाटे का शोर

सब छोड़-छाड़
हों मगन

अगन ठाले की

बैठें
पैठें
कहीं तो होगा
कुछ तो पार 
                (1986)