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"एक शे’र / अमजद हैदराबादी" के अवतरणों में अंतर

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किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
 
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समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥
 
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥
 
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23:12, 4 नवम्बर 2009 का अवतरण

किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥