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मेरे मनाने का एक निर्बाध सिलसिला | मेरे मनाने का एक निर्बाध सिलसिला |
00:14, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
तुम्हारे रूठने और
मेरे मनाने का एक निर्बाध सिलसिला
मेरी छोटी-छोटी मनुहारों से
तुम्हारा रूठना
हालाँकि बहुत ऊपर है
पर तुम जानते तो हो
अगर मैं लुटाना चाहूँ तो
केवल मनुहारें मेरे पास हैं
तभी तो
तुम इन्हें स्वीकार लेते हो
मेरी मनुहारों पे
अपना रूठना वार देते हो?