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− | बेवक़्त दरवाजा खटखटाते कुछ देर रुक फिर बाहर भागते | + | एक गली से दूसरी गली एक घर से दूसरे घर |
− | घूमते रहोगे बस यूँ ही | + | बेवक़्त दरवाजा खटखटाते कुछ देर रुक फिर बाहर भागते |
− | लगेगा भूल चुके हो लगेगा अंधेरे में सब दब चुका है | + | घूमते रहोगे बस यूँ ही |
− | पर अचानक करवट बदलते कुछ चुभेगा | + | लगेगा भूल चुके हो लगेगा अंधेरे में सब दब चुका है |
− | और फिर वो हवा काँख में दबाए तुम्हें बाहर ले जाएगी | + | पर अचानक करवट बदलते कुछ चुभेगा |
− | दूर तारे हैं ऐसा प्रकाश अंधकार से भरा हुआ | + | और फिर वो हवा काँख में दबाए तुम्हें बाहर ले जाएगी |
− | कहीं कोई उल्का पिंड गिर रहा है | + | दूर तारे हैं ऐसा प्रकाश अंधकार से भरा हुआ |
− | ऐसी कौंध कि देख न सको कुछ भी | + | कहीं कोई उल्का पिंड गिर रहा है |
− | दूर तक चलते चले जाओगे पेड़ों के नीचे लंबी सड़क पर | + | ऐसी कौंध कि देख न सको कुछ भी |
− | पेड़ तुम पर झुकते आते | + | दूर तक चलते चले जाओगे पेड़ों के नीचे लंबी सड़क पर |
− | चाँद दिखेगा और खो जाएगा | + | पेड़ तुम पर झुकते आते |
− | और तुम लौटोगे वापस थक कर|< | + | चाँद दिखेगा और खो जाएगा |
+ | और तुम लौटोगे वापस थक कर| | ||
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12:09, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
घूमते रहोगे भीड़ भरे बाज़ार में
एक गली से दूसरी गली एक घर से दूसरे घर
बेवक़्त दरवाजा खटखटाते कुछ देर रुक फिर बाहर भागते
घूमते रहोगे बस यूँ ही
लगेगा भूल चुके हो लगेगा अंधेरे में सब दब चुका है
पर अचानक करवट बदलते कुछ चुभेगा
और फिर वो हवा काँख में दबाए तुम्हें बाहर ले जाएगी
दूर तारे हैं ऐसा प्रकाश अंधकार से भरा हुआ
कहीं कोई उल्का पिंड गिर रहा है
ऐसी कौंध कि देख न सको कुछ भी
दूर तक चलते चले जाओगे पेड़ों के नीचे लंबी सड़क पर
पेड़ तुम पर झुकते आते
चाँद दिखेगा और खो जाएगा
और तुम लौटोगे वापस थक कर|