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एक पछाड़ थी वह | एक पछाड़ थी वह | ||
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उससे बड़ी एक औरत उसे छाती से | उससे बड़ी एक औरत उसे छाती से | ||
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बांधे हुई थी पत्थर बनी | बांधे हुई थी पत्थर बनी | ||
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और एक रिक्शा खींच रहा था लगातार | और एक रिक्शा खींच रहा था लगातार | ||
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चुप एकटक पैडल मारता | चुप एकटक पैडल मारता | ||
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हर घर हर दुकान को उकटेरता | हर घर हर दुकान को उकटेरता | ||
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पूरे शहर में घूम रहा था हाहाकार। | पूरे शहर में घूम रहा था हाहाकार। | ||
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12:12, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
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एक औरत पूरे शरीर से रो रही थी
एक पछाड़ थी वह
हाहाकार
उससे बड़ी एक औरत उसे छाती से
बांधे हुई थी पत्थर बनी
और एक रिक्शा खींच रहा था लगातार
चुप एकटक पैडल मारता
हर घर हर दुकान को उकटेरता
पूरे शहर में घूम रहा था हाहाकार।