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तीनों | तीनों | ||
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एक तेज़ प्रकाश लगातार मुझ पर | एक तेज़ प्रकाश लगातार मुझ पर | ||
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पुत रहा था | पुत रहा था | ||
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जैसे बवंडर में पड़ा काग़ज़ का टुकड़ा | जैसे बवंडर में पड़ा काग़ज़ का टुकड़ा | ||
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मैं घूम रहा था | मैं घूम रहा था | ||
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तभी वे समवेत स्वर में बोले-- | तभी वे समवेत स्वर में बोले-- | ||
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मांग, क्या मांगता है उल्लू! | मांग, क्या मांगता है उल्लू! | ||
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अरे चमत्कार! चमत्कार! | अरे चमत्कार! चमत्कार! | ||
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देव आज हिन्दी बोले | देव आज हिन्दी बोले | ||
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देवों ने तज दी देवभाषा | देवों ने तज दी देवभाषा | ||
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देव निजभाषा बोले! | देव निजभाषा बोले! | ||
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अब क्या मांगना चाहना प्रभु | अब क्या मांगना चाहना प्रभु | ||
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आपने सब कुछ तो दे दिया जो | आपने सब कुछ तो दे दिया जो | ||
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आप बोले निजभाषा | आप बोले निजभाषा | ||
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धन्य भाग प्रभु! धन्य भाग! | धन्य भाग प्रभु! धन्य भाग! | ||
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और तीनों देव जूतों की विश्व-कम्पनी | और तीनों देव जूतों की विश्व-कम्पनी | ||
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के राष्ट्रीय शो रूम के उद्घाटन में दौड़े- | के राष्ट्रीय शो रूम के उद्घाटन में दौड़े- | ||
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आज का उनका यही कार्यक्रम था न्यूनतम! | आज का उनका यही कार्यक्रम था न्यूनतम! | ||
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12:39, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
और वे मेरी ही ओर चले आ रहे थे
तीनों
एक तेज़ प्रकाश लगातार मुझ पर
पुत रहा था
जैसे बवंडर में पड़ा काग़ज़ का टुकड़ा
मैं घूम रहा था
तभी वे समवेत स्वर में बोले--
मांग, क्या मांगता है उल्लू!
अरे चमत्कार! चमत्कार!
देव आज हिन्दी बोले
देवों ने तज दी देवभाषा
देव निजभाषा बोले!
अब क्या मांगना चाहना प्रभु
आपने सब कुछ तो दे दिया जो
आप बोले निजभाषा
धन्य भाग प्रभु! धन्य भाग!
और तीनों देव जूतों की विश्व-कम्पनी
के राष्ट्रीय शो रूम के उद्घाटन में दौड़े-
आज का उनका यही कार्यक्रम था न्यूनतम!