भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"डायरी : मार्च'78 (जाल) / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अरुण कमल Category:कविताएँ Category:अरुण कमल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ सरकार...) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=अरुण कमल | |
− | + | |संग्रह = अपनी केवल धार / अरुण कमल | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | ||
सरकारी रिपोर्ट थी... | सरकारी रिपोर्ट थी... | ||
− | |||
गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत, | गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत, | ||
− | |||
वो भी हास्पिटल में | वो भी हास्पिटल में | ||
− | |||
तीन दिन बाद, | तीन दिन बाद, | ||
− | |||
पाँच हज़ार मुआवजा | पाँच हज़ार मुआवजा | ||
− | |||
भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ ! | भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ ! | ||
− | |||
कल रात मछुआरों ने डाला था जाल-- | कल रात मछुआरों ने डाला था जाल-- | ||
− | |||
आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें । | आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें । | ||
+ | </poem> |
12:58, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सरकारी रिपोर्ट थी...
गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत,
वो भी हास्पिटल में
तीन दिन बाद,
पाँच हज़ार मुआवजा
भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ !
कल रात मछुआरों ने डाला था जाल--
आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें ।