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"डायरी : मार्च'78 (जाल) / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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सरकारी रिपोर्ट थी...
 
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गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत,
 
गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत,
 
 
वो भी हास्पिटल में
 
वो भी हास्पिटल में
 
 
तीन दिन बाद,
 
तीन दिन बाद,
 
 
पाँच हज़ार मुआवजा
 
पाँच हज़ार मुआवजा
 
 
भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ !
 
भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ !
 
  
 
कल रात मछुआरों ने डाला था जाल--
 
कल रात मछुआरों ने डाला था जाल--
 
 
आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें ।
 
आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें ।
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12:58, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सरकारी रिपोर्ट थी...
गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत,
वो भी हास्पिटल में
तीन दिन बाद,
पाँच हज़ार मुआवजा
भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ !

कल रात मछुआरों ने डाला था जाल--
आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें ।