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ईर्ष्या / अरुण कमल

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|रचनाकार=अरूण अरुण कमल|संग्रह = अपनी केवल धार / अरुण कमल
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सचमुच विश्वजीत
 
मुझे तुम्हारा यह ऎश ट्रे बहुत पसन्द है
 
बिल्कुल पापी के फूल की तरह
 
खिल रहा है तुम्हारे टेबुल पर
 
सचमुच
 
कल न्यूट्रन बम गिरेगा
 
हम तुम सब मर जाएँगे
 
सब कुछ नष्ट हो जाएगा
 
फिर भी इस टेबुल पर इसी तरह चमकता रहेगा
 
शान से यह ऎश ट्रे
 
आज मुझे
 
इस ऎश ट्रे से ईर्ष्या हो रही है
 
मुझे ईर्ष्या हो रही है ।
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