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"वे और हम / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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कितने आज़ाद हैं वे लोग
 
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जो रीठे के खोल में सूखी गुठली-सा
 
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बज रहे हैं लगातार निर्द्वन्द्व
 
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उन्हें छूएगी कौन हवा
 
उन्हें छूएगी कौन हवा
 
 
उन्हें कहे कौन कि एक हाथ है बाहर
 
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जो उन्हें बजाता है बार-बार
 
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उन्हें कहे कौन की गति उनकी
 
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उसी अदृश्य हाथ की गति है ।
 
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मैं कहाँ हूँ उतना आज़ाद
 
मैं कहाँ हूँ उतना आज़ाद
 
 
मै उतना ही बँधा हूँ जितना आज़ाद
 
मै उतना ही बँधा हूँ जितना आज़ाद
 
 
मैं गर्भ में पलते बच्चे-सा
 
मैं गर्भ में पलते बच्चे-सा
 
 
बँधा हूँ
 
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आज़ाद हूँ
 
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मुझमें साँस बन रही है हर हवा ।
 
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13:08, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कितने आज़ाद हैं वे लोग
जो रीठे के खोल में सूखी गुठली-सा
बज रहे हैं लगातार निर्द्वन्द्व
उन्हें छूएगी कौन हवा
उन्हें कहे कौन कि एक हाथ है बाहर
जो उन्हें बजाता है बार-बार

उन्हें कहे कौन की गति उनकी
उसी अदृश्य हाथ की गति है ।
मैं कहाँ हूँ उतना आज़ाद
मै उतना ही बँधा हूँ जितना आज़ाद
मैं गर्भ में पलते बच्चे-सा
बँधा हूँ
आज़ाद हूँ
मुझमें साँस बन रही है हर हवा ।