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"टेलीफ़ोन के तार / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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कहाँ से फट फट कर गिरती हैं ध्वनियाँ ?
 
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तने हुऎ तार टेलिफ़ोन के
 
तने हुऎ तार टेलिफ़ोन के
 
 
धुनते जाते हैं हवा वादियाँ ।
 
धुनते जाते हैं हवा वादियाँ ।
 
  
 
तने रहें फैले रहें
 
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टेलिफ़ोन तारों-से हम
 
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खेतों मैदानों सड़कों खानों पर
 
खेतों मैदानों सड़कों खानों पर
 
 
पानी में भीगते
 
पानी में भीगते
 
 
बर्फ़ से ढँके
 
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धूप में चिलकते
 
धूप में चिलकते
 
 
आँधियों तूफ़ानों में झनझनाते
 
आँधियों तूफ़ानों में झनझनाते
 
 
ध्वनियों से भरे रहे हम
 
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ढोते रहे ध्वनियाँ
 
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ढोते रहे सैकड़ों आवाज़ें
 
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इसी तरह इसी तरह
 
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इसी तरह इसी तरह
 
इसी तरह इसी तरह
 
 
जोड़ते रहे गाँव गाँव
 
जोड़ते रहे गाँव गाँव
 
 
शहर शहर
 
शहर शहर
 
 
आदमी आदमी ।
 
आदमी आदमी ।
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13:09, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कहाँ से फट फट कर गिरती हैं ध्वनियाँ ?
तने हुऎ तार टेलिफ़ोन के
धुनते जाते हैं हवा वादियाँ ।

तने रहें फैले रहें
टेलिफ़ोन तारों-से हम
खेतों मैदानों सड़कों खानों पर
पानी में भीगते
बर्फ़ से ढँके
धूप में चिलकते
आँधियों तूफ़ानों में झनझनाते
ध्वनियों से भरे रहे हम

ढोते रहे ध्वनियाँ
ढोते रहे सैकड़ों आवाज़ें
इसी तरह इसी तरह
इसी तरह इसी तरह
जोड़ते रहे गाँव गाँव
शहर शहर
आदमी आदमी ।